भारीपन सा महसूस
होता है,
इतना भारी की उसका
वजन संभालना मुश्किल
हो जाता है
और, फिर रोने का मन
करता है।
जोर-जोर से रोने का मन।
क्यों?
पता नही।
रोना किस बात पे आता है?
ठीक-ठीक कहना मुश्किल है
की रोना किस बात पे आता है।
और दुविधा यह है की
जब दिल रोना चाहता है
तो ठीक उसी वक्त आंसू
नहीं निकलते।
वो इकठ्ठा होते है एक जगह
ज्वालामुखी की तरह
फूटने के लिए।
1 comment:
Sach hai ye aati h ye feelings bahut sahi likha aapne😃
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