आह! कितने तरह के खाने है।
मैं खुश थी। इस वजह से भी की पिछले छह महीनों से जो मैं ठंडा खाना खाते आई हूं उससे निजात मिलेगा। और दोपहर का खाना नसीब होगा। अब जब मेरी उम्मीदें बढ़ गई है तो मुझे पूरा हक है इसे भी क्रिटिसाइज करने का।
शुरुवात सोमवार से करते है। जैसा कि हमे नही पसंद की कभी संडे के बाद मंडे आए। ठीक उसी तरह मंडे का मूड स्विंग होता है और सुबह सुबह हमारे सामने ब्रेड से झांकते आलू परोसे जाते है। और साथ वाली सीट पर मीठी दलिया नींद में पसरी होती है। आप चाह कर भी ना नहीं कह सकते क्युकी आपके पास और ऑप्शन ही क्या है। कहां तक भागोगे दोस्त!
मुझे हफ्ते में दोपहर के खाने से ज्यादा शिकायत नहीं रही। दोपहर हर मौसम में अच्छा होता है। दोपहर डूबते टाइटेनिक का म्यूजिक बैंड है। दोपहर अंधेरे कमरे की एक रौशनी है। दोपहर ठंड की इश्क है।
फ्राइडे की शाम हमे खोफ्ते परोसे जाते है, कद्दू के। I know you are laughing. ख़ैर मुद्दे पे आते है। मुझे कोफ्ते कभी खास पसंद नही थे। और अब कभी आयेंगे भी नहीं।
हमे पनीर से बड़ी उम्मीद थी पर उन्होंने मेरे टेस्ट बड्स खराब कर रखे है। अब मैं पनीर का नाम ही नही सुनना चाहती।
थर्सडे की सुबह खुश मिजाज होती है। ये उत्तपम और सांभर के साथ आती है। लेकिन अगर थर्सडे को थोड़ा सा भी आलस आया तो मिजाज की खुशी कच्चे उत्तपम से कम की जाती है।
वेडनेसडे। बड़ा भारी दिन, सुबह से लेकर शाम तक। सुबह में आपको थाली में लहराती हुई सरसो के खेत से आई पोहे मिलेंगे। और दोपहर पनीर से नवाजा जाता है। शाम होते ही आपके मुंह के अंदर तेल से लिपाई की तैयारी की जाती है और बनाया जाता है छोले भटूरे। मैं ये बताती चलूं की कभी मुझे छोले भटूरे ठीक लगा करते थे।
शिमला मिर्च और सब्जी का कॉम्बिनेशन बिलकुल नमक और चीनी का मेल है mess में। मुझे आज तक समझ नही आया की शिमला मिर्च mess का दरवाजा देख के इतना रूठ क्यू जाता है।
रही सही कसर संडे का गुलाबजामुन पूरा कर देता है। मैं अपने फेवरेट डेजर्ट में इसका नाम रखने से पहले जरूर सोचूंगी।
हां एक और चीज है वेडनेसडे के दही बड़े। बहुत ही नायब स्वाद होता है जिसे डाइजेस्ट कर पाना मेरे बस की बात नही है।
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