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Showing posts from March, 2024

घर

                              ( @chitransh_12 _) परिक्षा देते वक्त ये सीखा  की एक पड़ाव पार करने के बाद जिंदगी सेट हो जाती है।  चार दिवारी से बाहर  निकला तो पूरी जिंदगी वीरान दिखी। जिंदगी सेट करने के  लिए मैं ऐसे भागा,  की खुद को आज   आईने में देखता हूं तो बचपन कोने में बिखरा  मिलता है। और जवानी धूप में तप के खाक हो चुकी होती है। धुंधली नजरों से सपने भी अब धुंधले दिखने लगे है उस सपने में मुझे मेरा  घर दिखता है जिसे बनाने मैं निकला तो हूं पर कभी पहुंच पाऊंगा ये  कहना मुश्किल है। 

तुम हो ना

                                (@nikumbh1001) सुबह उठ के खुद के सिरहाने  निहारना अब अच्छा लगने लगा है। तुम्हारे बालों की भीनी खुशबू  और आसमान से सूरज का झांकना मसाले चाय की तरह काम  करती है।  ये सब कुछ है, क्योंकि तुम हो। तुम हो ना? जिंदगी की बहुत सारी उलझनें पीछे छोड़ आया हूं या, यूं कहूं की  तुम्हारे आने से उलझनें अब  उलझन नहीं लगती ऐसा है, क्योंकि तुम हो। तुम हो ना? मेरे अंदर एक कौतूहल हुआ करता था।  एक ऐसा द्वंद जो मुझे  मुझसे दूर लेजाके ना जाने किस कोने में  फेक चुका था।  तुम्हारा आना मेरे कौतूहल  से बाहर आना है। क्योंकि तुम हो। तुम हो ना? एक अंधेरी शाम गुजारी है मैने खुद के बिना। अच्छा, ठीक है  ना जाने कितनी शामें गुजारी है खुद के बिना।  पर अब, जब तुम हो तो खुद का साथ अच्छा लगता है। तुम हो ना?

अपने से सपने

तुम्हारा प्यार में होना  तुम्हारा प्यार में होना अच्छा है पर तुम्हारे प्यार में तुम्हारा  गुम हो जाना मुझे डरा जाता है। मैंने ये नहीं कहा की  तुम गुलाबों की पंखुड़ियों पर उसके नाम ना लिखो। लिखो, बेशक लिखो  पर ध्यान से,  उसके नीचे के काटें तुम्हे चुभे ना। मैंने ये नहीं कहा की  उसके इंतजार में ना बैठो, बैठो, बेशक बैठो पर अपने आप को साथ लेके बैठना। मुझे याद है तुमने कहा था वो तुम्हारे लिए  फूलों का गुलिस्ता बनाता है। हां, ये भी याद है की  तुम्हारे कहने पे वो  कॉलेज के सिक्योरिटी गार्ड को  चकमा देके तुम्हारे लिए गुलाब के फूल लाया था। और, यह भी याद है की उसने कहा था की, अभी जैसा चल रहा है  चलने देते है। मुझे ये बात डरा जाती है। क्युकी तुम यहां खड़ी होके उसके सपने में बूढ़ी हो चुकी हो। उसके आंगन में सुबह का सूरज हो चुकी हो। उसके रात में आसमान पर टंगा चांद हो चुकी हो। तुम उसके सपने में बूढ़ी हो चुकी हो।  हर गली हर गली से तन्हा निकली हूं, हर महफ़िल के बाद वो आए मेरे आंसू सूखने के बाद। वो कहते थे तुम्हारा होना मेरा होना है वो छोड़ गए बस...