Skip to main content

अपने से सपने




तुम्हारा प्यार में होना 

तुम्हारा प्यार में होना अच्छा है
पर तुम्हारे प्यार में तुम्हारा 
गुम हो जाना मुझे डरा जाता है।
मैंने ये नहीं कहा की 
तुम गुलाबों की पंखुड़ियों पर
उसके नाम ना लिखो।
लिखो, बेशक लिखो 
पर ध्यान से, 
उसके नीचे के काटें
तुम्हे चुभे ना।
मैंने ये नहीं कहा की 
उसके इंतजार में ना बैठो,
बैठो, बेशक बैठो
पर अपने आप को साथ लेके बैठना।
मुझे याद है तुमने कहा था
वो तुम्हारे लिए 
फूलों का गुलिस्ता बनाता है।
हां, ये भी याद है की 
तुम्हारे कहने पे वो 
कॉलेज के सिक्योरिटी गार्ड को 
चकमा देके तुम्हारे लिए
गुलाब के फूल लाया था।
और, यह भी याद है की उसने कहा
था की, अभी जैसा चल रहा है 
चलने देते है।
मुझे ये बात डरा जाती है।
क्युकी तुम यहां खड़ी होके
उसके सपने में बूढ़ी हो चुकी हो।
उसके आंगन में सुबह का सूरज हो चुकी हो।
उसके रात में आसमान पर टंगा चांद हो चुकी हो।
तुम उसके सपने में बूढ़ी हो चुकी हो। 





हर गली

हर गली से तन्हा निकली हूं, हर महफ़िल के बाद
वो आए मेरे आंसू सूखने के बाद।
वो कहते थे तुम्हारा होना मेरा होना है
वो छोड़ गए बस एक मोड़ के बाद।





उस आसमां को चाहा मैने जिसपे सितारा ज्यादा था 
अक्सर उस शख्स ने तोड़ा है मुझे जिसपे भरोसा ज्यादा था। 








ख्वाब

मेरा हर रात सोने जाने से पहले तुम्हे सोचना 
अब एक आदत बन चुकी है।
हर रात तुम मेरे साथ होते हो
अभी तुमने मेरे बाल सहलाए है
और देखो ना वो फिर से मेरे चेहरे पे आ लगे।
मेरी आंखों में कुछ है? क्या?
मेरा चेहरा
मेरा शर्म से लाल हो जाना 
और अपना सिर तुम्हारे सीने 
से जड़ कर देने का सिलसिला 
पुराना है।
मेरी हर धीमी आवाज पे तुम्हारा 
जवाब आना
कितना सुकून देता है मुझे 
और कल रात जो तुम मेरे सिरहाने बैठे थे
कुछ कहने आए थे क्या?
और आज दोपहर भी मेरे
सपने में टहल के गए हो
क्या बात है आखिर?
क्या तुम याद ज्यादा करने लगे हो मुझे
या मैं तुम्हे अपने आस पास देखना चाहती हूं
देखो ना रात के १२ बज चुके
और नींद अभी भी नही आ रही। 






तुम्हारे सारे वादे की झूठी तस्वीरें देखीं है
तुम्हारे आखों में किसी की सूरत देखी है








लिखती हूं 

हां, लिखती हूं आज भी तुम्हारे बारे में 
हां, याद आते हो तुम आज भी मुझे।
कभी गुस्से की पोटली के साथ 
तो, कभी नर्म यादों की शाम लेके। 




मैंने हर बार कोशिश की है खुशी लिखने की पर हमेशा मैने दर्द उतारा है पन्नों पर। मुझे आंसू दिखे है ज्यादा। ऐसा नहीं है की वो औरत रोती ही रहती है पर उसके हसीं में भी रोना दिखता है मुझे। 





हर सूखे फूल की खुशबू समाज ने छीनी है। 








धूप 

धूप अब चुभने लगी है... 
सर्दी के जाते ही सूरज 
ऐसे माथे पे चढ़ आया हो
मानो किसी चीज से नाराज 
होके मुंह फूला के बैठा हो। 
तुम्हारे शर्ट की छांव है 
जो आज कल सुकून दिया करती है
आशा करती हूं की
तुम्हारा छांव यूंही बना रहे।
बारिशों में भी तुम 
मुझे संजो के रखने के 
तरीके ढूंढ लोगे
इसका मुझे भरोसा है। 









प्रबल सोच
एक सोच है जहन में जो दिन-ब-दिन प्रबल होती जा रही है। मुझे ऐसा लगता है आप जरूर मिलोगे मुझसे। आपका मिलना हमे एक डोर से बंधेगा। ऐसी डोर जिसमे हम दोनों ही बंधना चाहते हों। मुझे ऐसा लगता है की सालों से आप बैठे, मेरा इंतजार कर रहे है पर, कहना जरूरी नहीं समझा। मैंने देखा है आपको छुप-छुप के मुझे देखते हुए। वो नजर याद है मुझे आज भी। जमाने के हवाले से मैं कहूंगी नहीं कुछ, क्यूंकि, मैं जरूरी नहीं समझती। हां, ये जरूर कहना चाहती हूं की, अभी के हालात में मेरा और आपका एक मोड़ पे मिलना शायद ही हो पाए। फिर भी अब मन ये कहता है की एक शाम हमारी जरूर होगी, तो जरूर होगी।  उस शाम के इंतजार में .......






Comments

Riddhi said…
U r just awesome ❤️❤️
Keep writing.. & growing up 😘😘
Akash Tripathi said…
Every line every word is awesome and full of feelings
Nice writing skills just keep doing it 😃😃
suruchi kumari said…
Thank you so much 😊

Popular posts from this blog

भगवान

किताबों की पढ़ी पढ़ाई बातें अब पुरानी हो चुकी हैं। जमाना इंटरनेट का है और ज्ञान अर्जित करने का एक मात्र श्रोत भी। किताबों में देखने से आँखें एक जगह टिकी रहती हैं और आंखों का एक जगह टिकना इंसान के लिए घातक है क्योंकि चंचल मन अति रैंडम। थर्मोडायनेमिक्स के नियम के अनुसार इंसान को रैंडम रहना बहुत जरूरी है अगर वो इक्विलिब्रियम में आ गया तो वह भगवान को प्यारा हो जाएगा।  भगवान के नाम से यह बात याद आती है कि उनकी भी इच्छाएं अब जागृत हो गई हैं और इस बात का पता इंसान को सबसे ज्यादा है। इंसान यह सब जानता है कि भगवान को सोना कब है, जागना कब है, ठंड में गर्मी वाले कपड़े पहनाने हैं, गर्मी में ऐसी में रखना है और, प्रसाद में मेवा मिष्ठान चढ़ाना है।  सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इंसान इस बढ़ती टेक्नोलॉजी के साथ यह पता कर चुका है कि भगवान का घर कहां है? वो आए दिन हर गली, शहर, मुहल्ले में उनके घर बनाता है। बेघर हो चुके भगवान के सर पर छत देता है।  इकोनॉमी की इस दौड़ में जिस तरह भारत दौड़ लगा के आगे आ चुका है ठीक उसी तरह इंसान भी भगवान से दौड़ लगा के आगे निकल आया है। अब सवाल यह है कि भगवान अग...

कमरा नंबर 220

बारिश और होस्टल आहा! सुकून। हेलो दी मैं आपकी रूममेट बोल रहीं हूं, दरवाजा बंद है, ताला लगा है। आप कब तक आयेंगी।  रूममेट?  रूममेट, जिसका इंतजार मुझे शायद ही रहा हो। कमरा नंबर 220 में एक शख्स आने वाला है। कमरा नंबर 220, जो पिछले 2 महीनों से सिर्फ मेरा रहा है। सिर्फ मेरा।  मैंने और कमरा नंबर 220 ने साथ-साथ कॉलेज की बारिश देखी है। अहा! बारिश और मेरा कमरा कितना सुकून अहसास देता है। बारिश जब हवा के साथ आती है तो वो कमरे की बालकनी से अंदर आके करंट पानी खेल के जाती है। कमरा, जिसपे मेरा एकाकिक वर्चस्व रहा है। कमरा, जिसमे मैं कॉलेज से आते ही धब्ब से बिस्तर पर पड़ के पंखे के नीचे अपने बाल खोल कर बालकनी से बाहर बादल देखा करती हूं। कमरा, जिसे मैंने अब तक अकेले जिया है।  हेलो? हां, मैं अभी ऑडिटोरियम में हूं, तुम कहां हो? मैं होस्टल में हूं। कमरे के बाहर। कितने देर से खड़ी हो? सुबह से ही आई हूं। ऑफिस का काम करा के ये लोग रूम अलॉट किए है।  अच्छा..... यार मैं तो 6 बजे तक आऊंगी। तुम उम्मम्म.... तुम्हारे साथ कोई और है? पापा थे चले गए वो। अच्छा, सामान भी है? हां, एक बैग है। अभी आना ...

टपकता खून

तुम्हारे पर्दे से टपकता खून  कभी तुम्हारा फर्श गंदा नहीं करता वो किनारे से लग के  बूंद बूंद रिसता है  मुझे मालूम है कि  हर गुनाहगार की तरह  तुम्हे, तुम्हारे गुनाह मालूम है पर तुम्हारा जिल्ल ए इलाही बन  सबकुछ रौंद जाना  दरवाजे पर लटके पर्दे पर  और खून उड़ेल देता है।