(@nikumbh1001)
निहारना अब अच्छा लगने लगा है।
तुम्हारे बालों की भीनी खुशबू
और आसमान से सूरज का झांकना
मसाले चाय की तरह काम
करती है।
ये सब कुछ है, क्योंकि तुम हो।
तुम हो ना?
जिंदगी की बहुत सारी उलझनें
पीछे छोड़ आया हूं
या, यूं कहूं की
तुम्हारे आने से उलझनें अब
उलझन नहीं लगती
ऐसा है, क्योंकि तुम हो।
तुम हो ना?
मेरे अंदर एक कौतूहल हुआ
करता था।
एक ऐसा द्वंद जो मुझे
मुझसे दूर लेजाके
ना जाने किस कोने में
फेक चुका था।
तुम्हारा आना मेरे कौतूहल
से बाहर आना है।
क्योंकि तुम हो।
तुम हो ना?
एक अंधेरी शाम गुजारी है मैने
खुद के बिना।
अच्छा, ठीक है
ना जाने कितनी शामें गुजारी है
खुद के बिना।
पर अब, जब तुम हो
तो खुद का साथ अच्छा लगता है।
तुम हो ना?
Comments
Great work suruchi.