फोन का दूसरा कोना



                                                               Image courtesy Ananya       


तुमसे बात करते वक्त 
अक्सर मैं खुद से बात करने लगती हूं।
फोन के उस तरफ पड़े तुम
अपनी अनगिनत बातों का पिटारा
खोले बैठे होते हो
और फोन के दूसरी तरफ
मैं तुम्हारे दिखाए 
पिटारे से दूर जाके 
खुद को खुद से गुफ्तगू करते हुऐ पाती हूं।
तुम बीते कल के कुएं से 
यादों को बाल्टी में भर के खींच रहे होते हो
और मैं आने वाले कल के समंदर में 
गोते लगाने के लिए तैयार बैठती हूं।
बीते 20 साल चंद घंटों में समेटना 
बिल्कुल ऐसा है जैसे 
भरी बाल्टी में पानी भरना।
तुम्हारी बाते बाल्टी में 
भरते-भरते ऊपर तक आ जाती है
और उसके बाद मैं बह जाती हूं 
खुद की बातों के साथ 
तुम्हे फोन के दूसरे तरफ 
छोड़ के।

3 comments:

Akash Tripathi said...

Waah Aati sundar 👌👏 keep it up😊

Legit Info said...

Akshar chat karte wakt yhi lagta hai.
Nice depiction.

suruchi kumari said...

आभार 😌