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मैं ठीक हूं, तुम कैसी हो

@ayee_saurabh




फोन के नोटिफिकेशन से टपका तुम्हारा मैसेज जिसमे तुमने मुझसे पूछा की मैं कैसा हूं? 
मैं कैसा हूं? 
मैं इस सवाल का जवाब पता नहीं कितने दिनों से देना चाहता हूं। मैं यह बताना चाहता हूं की, मुझे कुछ दिनों से अच्छा नहीं लग रहा। घर में बैठे-बैठे अक्सर खिड़कियां निहारता रहता हूं। बाहर पता नहीं क्या ढूंढना चाहता हूं, मैं खुद नहीं जानता। परसो शाम मैं छत पर था और अचानक से मुझे बादल डरावने लगने लगे। बादल बहुत हल्के थे। उन्हें हवा आसानी से उड़ा के ले जा रही थी। आसमान कहीं-कहीं से साफ था। आसमान के दूसरे कोने से एक पीली लाइट आते दिखी थी, थोड़ी देर में समझ आया की वो प्लेन है। सबकुछ अच्छा होते हुए भी आसमान मुझे डरावना लग रहा था। मैं जल्दी से नीचे आ गया। 
कुछ दिनों से अंधेरे में मुझे शक्लें दिखाई देती हैं। ऐसा लगता है कोई उस अंधेरे से कमरे में सोफे पर बैठा है। जब मैं आईने में देखता हूं ऐसा लगता है कोई पीछे खड़ा है। बाद में आईने में देखने पर वहां कुछ नहीं दिखता। घर के हर कुर्सी पर कोई अपना बैठा हुआ दिखता है जो अब मेरे पास नहीं है। आम तौर पर मैं हर रोज 11 बजे रात तक जागता हूं। कल रात मैं अपने लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था, इसी बीच मेरी नज़रे बाएं दीवाल से लगे खिड़की पर गई। मैंने देखा दिमक की लंबी कतार खिड़की के जाली से होते हुए सरसराती चली जा रही हैं। मैं 1 मिनट तक उन्हें जाली पार करते देखता रहा और वो उसी प्रतिबद्धता से लगातार चलीं जा रही थीं। यह देख के मुझे अंदर से कुलबुलाहट होने लगी और मैंने लाइट ऑफ कर दी। 
फोन उठाया और मैने लिखा मैं ठीक हूं, तुम कैसी हो?

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