आईना





दीवार पर टंगा आईना 
क्या तुम्हे देखता है? 
या, तुम उसे निहारती हो
क्या देखती हो आईने में?
खुद को या,
उन नज़रों को जो तुम्हे देखते है।
क्या ढूंढती हो आईने में?
अभी का सच 
या, कुछ देर में आने वाली बहार।
क्या तलाशती हो आईने में?
खुद को
या, पीछे छूट चुके पल को।
माथे की बिंदी जो तुम 
आईने पर टाक जाती हो
उसमे कोई अपना चेहरा 
निहार जाता है।
अपने चेहरे को बिंदी की जगह रख कर
खुद को सजा जाता है।
तुम क्या झंझोरती हो आईने से 
उसे, या, उसके देखे रूप को।
बिस्तर के एक कोने में बैठा शख्स 
तुम्हे आईने से दूसरे कोने में तलाशता है
दूसरे कोने में बैठी तुम 
आईने से क्या पूछती हो?
उसकी नज़रों का सच 
या, उसके पीछे की उधेड़बुन 
जो शायद टूट कर बिखर जाना चाहता है।

सर्दी की सुबह




मैं उनसे पहली बार 
सर्दी की एक खुबसूरत 
सुबह मिली थी।
सफेद शॉल में लिपटे उनके 
बदन ने मुझे देखा था 
उनका मुझे देखना और 
यह देख के शर्मा जाना 
की वो मुझे देख रहे है 
लाजमी था। 
ठंड की अकेली दोपहर हमने 
साथ गुजारी थी
बिना एक दूसरे से बात किए 
बीच बीच में बस कुछ 
छोटी छोटी बातें हुई थी
जैसे शहर कैसा है?
मौसम कैसा है?
यह कंबल सही है की नहीं?
खाना खाओगी? 
बस इतनी ही बातें थी हमारी
अगली सुबह मेरा आखिरी दिन था
उनके साथ
सोमवार का दिन 
और मैं जा रही थी
सोमवार को भी कोई जाता है भला?
सोमवार को दुनिया जहान के काम होते है
कोई कैसे बैठेगा मेरे सामने 
पर मैं उसी दिन जाने वाली थी
सुबह सुबह पहली बार मैंने उन्हें 
तैयार होते हुए देखा था 
बहुत सुंदर लग रहे थे वो 
मैं एक बार उनकी आंखों में 
देखना चाहती थी
मैं उनकी तरफ देखती रही
पर उन्होंने मुड़ के मुझे नहीं देखा।

अलग रास्ते






अंजान था सफर जब मैं 
तुमसे पहली बार मिला
ऐसा नहीं था की इससे पहले
दोस्त नहीं बने मेरे 
या तुम पहले इंसान थे।
लोग बहुत रहे मेरे जिंदगी में 
पर तुम उसमे सबसे नायाब रहे
एक वक्त के साथी का छूट जाना
मुश्किल है
उससे भी मुश्किल है उसके बिना
सफर तय करना
यह नहीं है की मैं खड़ा नहीं हो पाऊंगा
नाही मैं कोने में बैठ सिसकियां बटोरूंगा
पर तुम्हारा होना मेरी खुशी हुआ करती थी
आज जो तुम नहीं हो तो 
यह कमरा सुना लगता है
अंधेरे से कमरे में एक 
बुत बना सा लगता है
भरी सड़क है 
फिर भी शांत सा लगता है
दरवाजे पर खड़ा एक लड़का
अपने दोस्त को जाते देखता है।

सितमगर



                                        📷(अनन्या) 


मैं अपने सितमगर से कहती हूं
उसके सितम का हाल 
मुझे लगता है वो अंधेरे 
में खड़ा निशानें लगा रहा है
वह नहीं जानता वह क्या कर रहा है
मैं अपने सितमगर से कहती हूं 
उसके सितम का हाल
मुझे लगता है वो 
अनजाने में मुझे कर्कस कह गया
दिल तो बड़ा साफ है उसका
मुझे लगता है वो थक चुका है 
मुझे उसके पास होना चाहिए 
मैं जब भी उसके करीब जाती 
वो हाथ बढ़ा छिटक देता है 
मैं अपने सितमगर से कहती हूं....
वो शाम को टीले पर बैठ कर 
धुवां हवा में उड़ाता है
यह देख मैं चौक जाती हूं
मैं सोचती हूं 
जरूर कोई गंभीर समस्या है
वरना कोई जहर जान बूझ कर पीता है भला?
मैं उसे डब्बे के पीछे की तस्वीर दिखाती हूं
वो मुझे टुकूर टुकूर ताकता है 
और धुवां मेरे मुंह पर उड़ा देता है
मैं अपने सितमगर से कहती हूं......
पता नहीं क्या बात रही होगी 
जो कल तक का भला चंगा इंसान
मेरे शरीर पर दाग दे जाता है
जादू टोटका किया होगा किसीने 
नहीं तो ऐसा तो नहीं करता मेरा राजकुमार 
मैं अपने सितमगर से कहती हूं 
उसके सितम का हाल