अलग रास्ते






अंजान था सफर जब मैं 
तुमसे पहली बार मिला
ऐसा नहीं था की इससे पहले
दोस्त नहीं बने मेरे 
या तुम पहले इंसान थे।
लोग बहुत रहे मेरे जिंदगी में 
पर तुम उसमे सबसे नायाब रहे
एक वक्त के साथी का छूट जाना
मुश्किल है
उससे भी मुश्किल है उसके बिना
सफर तय करना
यह नहीं है की मैं खड़ा नहीं हो पाऊंगा
नाही मैं कोने में बैठ सिसकियां बटोरूंगा
पर तुम्हारा होना मेरी खुशी हुआ करती थी
आज जो तुम नहीं हो तो 
यह कमरा सुना लगता है
अंधेरे से कमरे में एक 
बुत बना सा लगता है
भरी सड़क है 
फिर भी शांत सा लगता है
दरवाजे पर खड़ा एक लड़का
अपने दोस्त को जाते देखता है।