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हल्का प्रेम


कितना हल्का है तुम्हारा प्रेम 
जो समाज के थपेड़ों से डरता है
मैंने देखा है तुम्हे 
मुझे छुप कर के देखते हुए
मेरे पलट कर देखने के बाद भी 
तुम अपनी निगाह हटाया नहीं करते थे
कम्युफ्लेज कर रहे थे तुम तो 
कितना हल्का है तुम्हारा प्रेम....
रोज रात को दीवानों की तरह गाने 
सुनाया करते थे मुझे 
याद है वो बारिश की रात 
जब तुम घर तक आ पहुंचे थे
सिर्फ इसलिए कि तुम मुझे बारिश
में देखना चाहते थे।
उसकी अगली सुबह तुम्हारे पापा
ने मेरे पापा को नौकरी से निकाल दिया था।
शायद यह भी याद होगा तुम्हे 
कितना हल्का है तुम्हारा प्रेम....
हाई स्कूल के पीछे पेड़ के नीचे बैठ के 
बूढ़े होने का वादा कर गए थे तुम 
और आज देखो 
सच में तुम्हारी बूढ़ी आँखें काम नहीं कर रही
तुम किसी और के साथ बूढ़े हो चुकने का फिर से 
वादा कर आए हो
कितना हल्का है तुम्हारा प्रेम...
तुम शुरू से जानते थे 
हमारे बीच का फर्क 
पर कभी अहसास नहीं होने दिया 
आज तुम ऊंचे हो कद में थोड़े 
तो अब मेरा कद छोटा लग रहा है 
तुमने रात में आना बंद कर दिया है
बारिश में भीगना बंद कर दिया है
प्रेम संगीत बंद कर दिया है 
कम्युफ्लेज करना कब बंद करोगे?



 

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