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आपके नाम










Hey Mommy
मेरी प्यारी दुलारी, 
बहुत दिनों से आपसे कुछ कहना था, आपसे ये कहना था की आप जिस तरह पिछले ९ सालों में उभरी है वो तारीफ के काबिल है। आप जिस तरह से खुद को देखने लगी है, वो मुझे अच्छा लगने लगा है। इन ९ सालों में मैंने आपको बदलते हुए देखा है। जब मैं ये लिख रही हूं तो तस्वीर से वो साल मेरे आंखो के सामने से गुजर रहे हैं। मैने आपको देखा है मुझे पंख देते हुए, और मैंने ये भी देखा है की आपने सीखा है खुद को पंख देना भी। हम अच्छे दोस्त बने हैं, ना जाने कितनी बातों का सिलसिला है हमारे बीच। इससे इतर भी हमारी एक दुनिया है औरतों कि, जिसमे आप और हम एक जगह पे खड़े होते हैं। और वो बहुत खूबसूरत दुनिया है। मुझे बेहद पसंद है आपसे हमारे बारे में बाते करना। और एक खूबसूरत बात ये है की हम साथ बड़े हो रहे है इस दुनिया में। 

Comments

Tarjan Sahu said…
Mother is ❤

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गुलदस्ता वाला चेहरा

शायद वो भूल गया है मुझे  3 हफ्ते हो गए और मेरी कोई  खबर नहीं। क्यों जरूरी हूं मैं उसके लिए  उसके जिंदगी में बहारों की  क्या कमी है? मोबाइल की नोटिफिकेशन  निहारती मै, उसके मेसेजेज का वेट करती मै, कितनी अजीब लगती हूं। खुद से बातें करके मैने  घर के कोने में एक  बड़ा सा ऊन का गट्ठर तैयार कर लिया है रोज उस गट्ठर को सुबह-शाम देखती हूं दोपहर को उसके कंधे पर सोती हूं और  शाम ढले उसके बाहों से सरक कर फिर से जमीन पर आ लगती हूं। जब गट्ठर से जी भर जाए तो  फिर से मोबाइल का नोटिफिकेशन  निहार लेती हूं  और फिर से वही निराशा। कितनी दयनीय हो गई हूं मैं! कल सुबह उठ के मैने यही सोचा  की मैं आज उस ऊन के गट्ठर को  खिड़की से बाहर फेक दूंगी और उस जगह पर खुद को सजाऊंगी और आज जब खिड़की खोली तो  वो अपने गुलदस्ते वाले चेहरे के साथ खड़ा था।

भगवान

किताबों की पढ़ी पढ़ाई बातें अब पुरानी हो चुकी हैं। जमाना इंटरनेट का है और ज्ञान अर्जित करने का एक मात्र श्रोत भी। किताबों में देखने से आँखें एक जगह टिकी रहती हैं और आंखों का एक जगह टिकना इंसान के लिए घातक है क्योंकि चंचल मन अति रैंडम। थर्मोडायनेमिक्स के नियम के अनुसार इंसान को रैंडम रहना बहुत जरूरी है अगर वो इक्विलिब्रियम में आ गया तो वह भगवान को प्यारा हो जाएगा।  भगवान के नाम से यह बात याद आती है कि उनकी भी इच्छाएं अब जागृत हो गई हैं और इस बात का पता इंसान को सबसे ज्यादा है। इंसान यह सब जानता है कि भगवान को सोना कब है, जागना कब है, ठंड में गर्मी वाले कपड़े पहनाने हैं, गर्मी में ऐसी में रखना है और, प्रसाद में मेवा मिष्ठान चढ़ाना है।  सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इंसान इस बढ़ती टेक्नोलॉजी के साथ यह पता कर चुका है कि भगवान का घर कहां है? वो आए दिन हर गली, शहर, मुहल्ले में उनके घर बनाता है। बेघर हो चुके भगवान के सर पर छत देता है।  इकोनॉमी की इस दौड़ में जिस तरह भारत दौड़ लगा के आगे आ चुका है ठीक उसी तरह इंसान भी भगवान से दौड़ लगा के आगे निकल आया है। अब सवाल यह है कि भगवान अग...

खबरें विस्तार से

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