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Showing posts from December, 2023

हमार कहानी

सुबह की शोर में सबकुछ शांत था। अरे, बहुरिया तैयार हुई की नहीं? लोग आयेंगे देखने जल्दी करो भई। झुमरी अपने आप को एक नये जगह पे पाती है।  लाल जोड़ा उसके लिए जादू की छड़ी है जैसे। कहां रोज सुबह जागो तो चूल्हे लिपना, घर बहारने, खाना बनाने की झंझट और अब, अब तो बस तैयार होना है। हर सुबह लोग मुझे देखने आयेंगे और बदले में मिलेंगे नेग, कपड़े और जेवर।  अच्छा सुन, तुझे पता है आज मुझे क्या मिला? तू बतायेगी तो ना? इन्होंने मुझे कान के झुमके दिलवाये, वो भी सोने के। सच? हाँ, और कहा है की अगली बार जब वो कलकत्ते से आयेंगे तो गले का भी दिलायेंगे।  अरे वाह झुमरी तेरे तो दिन पलट गए। झुमरी सरमाते हुए अपने आप को आईने में निहारती है। अच्छा चल अब तंग मत कर, मैं फोन रखती हूं।  प्रदीप कुछ पैसे झुमरी की तरफ बढ़ाता है।  मैं कल जा रहा हूं। इतनी जल्दी? हां, मालिक का फोन आया था। कपड़े की डिमांड बढ़ गई है, तो मेरा वहा होना जरूरी है, नहीं तो मेरी नौकरी चली जायेगी। झुमरी फटाक से प्रदीप के मुंह पे हाथ रख देती है। अजी! ऐसा ना कहो।  प्रदीप उसकी आंखो में देखता है। उसका हाथ अपने हाथ में लेके कहता...

पर्दा

मेरे और तुम्हारे होने के बीच  एक पर्दा है। पर्दे के इस तरफ  एक विरान गली, और पर्दे के उस तरफ  फूलों से सजा बाग। पर्दे के इस तरफ  एक सच्चाई है जिसे गले से नीचे  उतार पाना बड़ा मुश्किल है। और पर्दे के उस तरफ एक बहती नदी की नाव में सवार हम बस चले जा रहे है दूर बहुत दूर। इस तरफ की जिंदगी में  तुम मुझसे भागते हो। और उस तरफ आगे  बढ़ के हाथ मेरा थामते हो। चलो आज ये पर्दा हटा दे स्वप्न मिटा दें। 

Mess का खाना

चार महीनों से भी ज्यादा दिनों तक mess का खाना खाने के बाद मैं यही समझ पाई हूं की मुझे क्या नही खाना है। जब मैं पहली बार हॉस्टल आई थी मुझे menu बड़ा पसंद आया था।  आह! कितने तरह के खाने है।  मैं खुश थी। इस वजह से भी की पिछले छह महीनों से जो मैं ठंडा खाना खाते आई हूं उससे निजात मिलेगा। और दोपहर का खाना नसीब होगा। अब जब मेरी उम्मीदें बढ़ गई है तो मुझे पूरा हक है इसे भी क्रिटिसाइज करने का।  शुरुवात सोमवार से करते है। जैसा कि हमे नही पसंद की कभी संडे के बाद मंडे आए। ठीक उसी तरह मंडे का मूड स्विंग होता है और सुबह सुबह हमारे सामने ब्रेड से झांकते आलू परोसे जाते है। और साथ वाली सीट पर मीठी दलिया नींद में पसरी होती है। आप चाह कर भी ना नहीं कह सकते क्युकी आपके पास और ऑप्शन ही क्या है। कहां तक भागोगे दोस्त!  मुझे हफ्ते में दोपहर के खाने से ज्यादा शिकायत नहीं रही। दोपहर हर मौसम में अच्छा होता है। दोपहर डूबते टाइटेनिक का म्यूजिक बैंड है। दोपहर अंधेरे कमरे की एक रौशनी है। दोपहर ठंड की इश्क है।  फ्राइडे की शाम हमे खोफ्ते परोसे जाते है, कद्दू के। I know you are laughing. ख़ैर मु...