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Showing posts from February, 2024

अनकही

1) आज कल मैं तुम्हारे बारे में ज्यादा बातें करने लगी हूं। मैने कई बार सोचा की तुम्हारा ख्याल अपने मन से झटक दूं और सामने वाले को कह दूं की मुझे बात नही करनी, पर ऐसा हुआ नहीं। मैने जितनी बार यादें झटकी उतनी ही तेजी से वो मन के दरवाजे तोड़ के अंदर घुसी है। अब मैं तुम्हारे बारे में बातें कर लेती हूं। सुन लेती हूं जो सामने वाला कह रहा होता है। आज उसके कहे पे हसीं आई जो उसने तुम्हारे बारे में कहा। वक्त बेवक्त वो तुम्हारा जिक्र कर लेता है, शायद वो टूटे अंश तलाश रहा है मुझमें पर अफसोस उसे अभी तक कुछ मिला नहीं। और मुझे पूरा भरोसा है आगे भी नही मिलेगा। वो कुछ दिनों बाद तुम्हारी बातों का जाल फेकेगा मेरी तरफ, इन बातों से अनजान की धीरे धीरे तुम्हारी यादों का पत्थर अब पत्ता बनता जा रहा है। तुम्हारे यादों के सूखने के इंतजार में.. 2) Mr. अकडू तुम्हारा ख्याल पूरे दिन जेहन में घूमते रहता है। सुबह आँख खुलने से लेके रात को सोने जाने तक। दिन भर के काम में खुद के बारे में ना सोच पाना आज कल मेरे लिए आम बात हो चुकी है। आज सुबह की शुरुवात तितलियों सी हुई है। महीनों बाद तुमसे मिल रही हूं सोचा है अपना पसंदीदा र...