वस्तुतः
भगवान
बेफिक्र
कितना जरूरी है
हल्का प्रेम
राजा
गुलदस्ता वाला चेहरा
कचरे का ढेर
शिवानी
मैं कचरे के ढेर में रहती हूं
और इस ढेर में रहते हुए
खुद को दूसरों से अलग दिखाने की
पुरजोर कोशिश करती रहती हूं
पूरी जिंदगी।
निम्न अस्तर के कचरे में रहने वाले
लोगों से मुझे एक अजीब सी 'बु' आती है
मैं जब उनकी गली से गुजरती हूं
तो नाक पर हाथ का चले जाना
बहुत आम प्रक्रिया होती है।
'बु' वाले घर से मेरे घर एक लड़की काम
करने आती है।
मैं अपनी कुर्सी पे बैठी होती हूं
और वो सामने बने सीढ़ियों पे बैठती है।
मुझे नहीं पता उसके घर के खाने का स्वाद
पर वो जानती है मेरे घर क्या पकता है
मैने कभी उसका चूल्हा नहीं देखा
पर वो रोज मेरा बर्तन साफ कर के ही घर जाती है।
पूजा के समय वो पीतल के बर्तन नहीं धुलती
पर अम्मा को जब पूजा करते करते कमर में
तेज दर्द होता है तो
वो पूरे बदन की मालिश जरूर करती है।
अम्मा ने बक्से से एक चमकीली साड़ी
निकाली है।
और वो साड़ी अब उन्हें नई लग रही
सो उन्होंने उसे पहनना सुरु कर दिया है
मैने कहा अम्मा ये साड़ी आप पर नहीं जचती
उन्होंने कहा ' फेकन बो के देवे के बा ता तनी पही न लेवतानी'