तुम्हारे पर्दे से टपकता खून कभी तुम्हारा फर्श गंदा नहीं करता वो किनारे से लग के बूंद बूंद रिसता है मुझे मालूम है कि हर गुनाहगार की तरह तुम्हे, तुम्हारे गुनाह मालूम है पर तुम्हारा जिल्ल ए इलाही बन सबकुछ रौंद जाना दरवाजे पर लटके पर्दे पर और खून उड़ेल देता है।
नारीवाद का जन्म एक रईसी खानदान में हुआ है। वो दिन रात के चकाचौंध में पली बढ़ी है। बड़े बड़े ऋषि मुनियों का मानना है कि यह ही एक शक्ति है जो दुनिया के हर महिला के दुख के निवारण के लिए पैदा हुई है। नारीवाद का अवतार एक देव का अवतार है वो सबसे पहले अपना साम्राज्य स्थापित करेगी। कष्टों के निवारण के लिए दरबार लगाएगी।