सुबह का कोहरा धूप को निकलने की इजाजत नहीं दे रहा था। चारों ओर धुआं धुआं सा फैला था । मीरा खिड़की से झांकते हुए बाहर के मौसम को आँखों में भर लेना चाहती थी।
तभी उसने देखा बाहर उसके बाबा किसी से बात कर रहे है, वह व्यक्ति काले कंबल में लिपटा जाना पहचाना लग रह था। मीरा ने गौर से देखने की कोशिश की,
अरे, ये तो रिया के पापा है । ये यहां क्या कर रहे है ॽ ओर बाबा से क्या बात कर रहे हैॽ
खैर, कुछ भी हो वो खुश थी आज उसे मौका मीला है उनकी आवभगत करने का।
वह दौड़ी दौड़ी बाहर आई, अपने साँसों को थामते हुए बोली, माँ रिया के पापा आये हैं ।
माँ ने इसका कोई जवाब नहीं दिया ।
माँ, मैं उनके लिए नाश्ता ले कर जाऊं ॽ
बर्तन खाली नहीं है, उन्होंने खिजते हुए कहा ।
पर इतने सारे तो बर्तन तो पड़ है यहां पर, उसने बर्तन की टोकरी की ओर देखते हुए कहा ।
कहा न, कोई बर्तन खाली नहीं है, मुझे ढूढना पड़ेगा, ओर वैसे भी वो मेरे यहां कोई नास्ता ॒पानी करने नहीं आये हैं, काम से आये हैं । माँ ने गुस्से से कहा ।
और अभी इतना सवेरा है इतनी सुबह नास्ता कौन करता है ॽ
जाव अपने कमरे में ।
मीरा को कुछ समझ में नहीं आ रहा था वो खडी होकर माँ को देखे जा रही थी ।
माँ ने फिर से उसे डाट लगाई, अपने कमरे में जाव ।
जीतनी रफ्तार से वो आइ थी उसके ठीक विपरीत धिरे धिरे अपने कमरे की तरफ बढ़ रही थी ।
कल भी कोई आया था बाबा से मिलने इतने सवेरे ही पर कल तो उनकी खातिरदारी हुई थी फिर आज क्यू नहीं ॽ वो बड़बड़ाते हुए अपने कमरे की तरफ बढ़ रही थी ।
वो दौड़ के खिड़की के पास गई दोनों आभी भी बातें कर रहे थे । पर वो अभी भी बाहर खड़े थे ।
वो बाबा की ओर टकटकी लगाए देख रही थी, मानो कह रही है बाबा अन्दर आके बैठ जाइए, पर उसकी कोई सुनने वाला नहीं था ।
अगले दिन स्कूल में मीरा रिया से नजरे चुरा रही थी ।
रिया ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, कल मेरे पापा तुम्हारे घर गए थे ,तुम्हारे बाबा हमारा काम कर देंगे पापा बहुत खुश हैं। उसका चेहरा फुलो सा खिला हुआ था, आँखें चमक रही थी और वो बहुत खुश थी ।
तुम्हारे पापा आये थे ॽ मै तो देखी ही नहीं ।
कोइ बात नहीं वो सुबह-सुबह ही गये थे तो शायद तुम्हें पता नहीं होगा ।
रिया ने एक टिफिन मीरा को देते हुए कहा ये माँ ने तुम्हारे लिए बनाया है तुम्हें गाजर का हलवा पसंद है ना ।
मीरा के सीने में हजारों सवालो के ज्वालायें उठ रही थी वो शर्मिंदा भी महसूस कर रही थी ।
उसने रिया का हाथ जोर से पकड़ लिया, मानो ठंडे हाथ ज्वालाओं को शांत कर रहे हो ।
तभी उसने देखा बाहर उसके बाबा किसी से बात कर रहे है, वह व्यक्ति काले कंबल में लिपटा जाना पहचाना लग रह था। मीरा ने गौर से देखने की कोशिश की,
अरे, ये तो रिया के पापा है । ये यहां क्या कर रहे है ॽ ओर बाबा से क्या बात कर रहे हैॽ
खैर, कुछ भी हो वो खुश थी आज उसे मौका मीला है उनकी आवभगत करने का।
वह दौड़ी दौड़ी बाहर आई, अपने साँसों को थामते हुए बोली, माँ रिया के पापा आये हैं ।
माँ ने इसका कोई जवाब नहीं दिया ।
माँ, मैं उनके लिए नाश्ता ले कर जाऊं ॽ
बर्तन खाली नहीं है, उन्होंने खिजते हुए कहा ।
पर इतने सारे तो बर्तन तो पड़ है यहां पर, उसने बर्तन की टोकरी की ओर देखते हुए कहा ।
कहा न, कोई बर्तन खाली नहीं है, मुझे ढूढना पड़ेगा, ओर वैसे भी वो मेरे यहां कोई नास्ता ॒पानी करने नहीं आये हैं, काम से आये हैं । माँ ने गुस्से से कहा ।
और अभी इतना सवेरा है इतनी सुबह नास्ता कौन करता है ॽ
जाव अपने कमरे में ।
मीरा को कुछ समझ में नहीं आ रहा था वो खडी होकर माँ को देखे जा रही थी ।
माँ ने फिर से उसे डाट लगाई, अपने कमरे में जाव ।
जीतनी रफ्तार से वो आइ थी उसके ठीक विपरीत धिरे धिरे अपने कमरे की तरफ बढ़ रही थी ।
कल भी कोई आया था बाबा से मिलने इतने सवेरे ही पर कल तो उनकी खातिरदारी हुई थी फिर आज क्यू नहीं ॽ वो बड़बड़ाते हुए अपने कमरे की तरफ बढ़ रही थी ।
वो दौड़ के खिड़की के पास गई दोनों आभी भी बातें कर रहे थे । पर वो अभी भी बाहर खड़े थे ।
वो बाबा की ओर टकटकी लगाए देख रही थी, मानो कह रही है बाबा अन्दर आके बैठ जाइए, पर उसकी कोई सुनने वाला नहीं था ।
अगले दिन स्कूल में मीरा रिया से नजरे चुरा रही थी ।
रिया ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, कल मेरे पापा तुम्हारे घर गए थे ,तुम्हारे बाबा हमारा काम कर देंगे पापा बहुत खुश हैं। उसका चेहरा फुलो सा खिला हुआ था, आँखें चमक रही थी और वो बहुत खुश थी ।
तुम्हारे पापा आये थे ॽ मै तो देखी ही नहीं ।
कोइ बात नहीं वो सुबह-सुबह ही गये थे तो शायद तुम्हें पता नहीं होगा ।
रिया ने एक टिफिन मीरा को देते हुए कहा ये माँ ने तुम्हारे लिए बनाया है तुम्हें गाजर का हलवा पसंद है ना ।
मीरा के सीने में हजारों सवालो के ज्वालायें उठ रही थी वो शर्मिंदा भी महसूस कर रही थी ।
उसने रिया का हाथ जोर से पकड़ लिया, मानो ठंडे हाथ ज्वालाओं को शांत कर रहे हो ।