मिश्रा जी लाॅ के स्टूडेंट है। लाॅ का स्टूडेंट होने का मतलब है कि दुनिया भर की तमाम चीजों से खुद-ब-खुद हि नाता जुड़ जाना, जैसे एक बच्चे का मां से जुड जाता है वो भी जन्म लेने के पहले हि। जैसे पत्ते हवाओ मे बिना लहरे नही रह सकते,ठीक उसी तरह लाॅ के स्टूडेंट किसी भी बात पे तार्किक बहस करने से पिछे नही रह सकते । उनकी अनगिनत विचारधारायें उसी तरह उफान मारती है जैसे फुल को देख के भैरें, और वो अपने विचारों को शब्दों में गढ़ के प्रस्तुत करते जाते हैं । अगर मैं ये कहु कि वो इसे देश मे क्रांति लाने का माध्यम भी समझते हैं तो शायद मै गलत नहीं हूँ । मिश्रा जी भी लिखते हैं, काफी अच्छा लिखते हैं और अपनी प्रतिक्रिया से क्रांति लाने की कोशिश कर रहे हैं या अपनी बुद्धिमत्ता का प्रयोग ये कहना मुश्किल है । कलम और पन्नों का नाता सकुशल चल रहा था की उन्हे एक मैसेज आया, कि उनके दोस्त पर्यावरण के संदर्भ में एक विडियो बनाना चाहते हैं और उसमें वो एक पैनलिस्ट की भूमिका निभायेंगे । ये विडियो एक फेसबुक पेज के लिए होने वाला था । इस पेज को कुछ लोग मिलकर चलाते है, और पर्यावरण के संदर्भ में तमाम तरह...